साँसों में गुम गयी या नजारों में खो गयी
नज़्म कोई मेरी इन सितारों में खो गयी
दिल के अदब को लहरें देतीं है सलामियाँ
प्यास जो दरिया थी ,किनारों में खो गयी
बात वो दिल कि जिसकी कोई जुबाँ नही
खुशबू बनके उडी और बहारों में खो गयी
दिल के अदब को लहरें देतीं है सलामियाँ
प्यास जो दरिया थी ,किनारों में खो गयी
नींदे ले उडी हैं ......ये ख़्वाबों कि तितलियाँ
जैसे चाँद कि परी इन तारों में खो गयी
होता बेख्यालियों का .अपना ही मिजाज़ है
तरन्नुम थी ग़ज़ल कि जो अशारों में खो गयी
- वंदना