कितनी खूबसूरत शाम है
और मैं
साहिल कि रेत में
तुम्हारी आँखें बना रही हूँ ..
पता है क्यूं ?
क्यूंकि .. लहरों कि चुनोतियाँ
स्वीकारी हैं मैंने ...
उन्हें डूबने के अर्थ समझाने हैं
कि कितनी ख़ामोशी से
डुबो सकती हैं आँखें
बिना किसी आवेश के
एक मौन सी चंचलता के पीछे
हम उतरने लगते हैं
एक खामोश झील में
बेसुध ,बेफिक्र
किसी बच्चे कि तरह
जिसे न गहराई का
तकाज़ा है ...न डूबने का डर !
ना ना ...इनमे उतरने के
चलकर जाने कि जरुरत नही
न लहरों का बवंडर कोई
जो खींच ले जाये ...
बस काफी होता है
उन पलकों कि कोर पर
नजर का एक छण
ठहर जाना ..
देखो.... हारती हुई
लहरों का गवाह है
ये डूबता हुआ सूरज
समंदर हार गया
आँखें जीत गयीं
मैं डूब रही हूँ ..
अपनी बांहों का
सहारा तो दो !!
- वंदना
स्वीकारी हैं मैंने ...
उन्हें डूबने के अर्थ समझाने हैं
कि कितनी ख़ामोशी से
डुबो सकती हैं आँखें
बिना किसी आवेश के
एक मौन सी चंचलता के पीछे
हम उतरने लगते हैं
एक खामोश झील में
बेसुध ,बेफिक्र
किसी बच्चे कि तरह
जिसे न गहराई का
तकाज़ा है ...न डूबने का डर !
ना ना ...इनमे उतरने के
चलकर जाने कि जरुरत नही
न लहरों का बवंडर कोई
जो खींच ले जाये ...
बस काफी होता है
उन पलकों कि कोर पर
नजर का एक छण
ठहर जाना ..
देखो.... हारती हुई
लहरों का गवाह है
ये डूबता हुआ सूरज
समंदर हार गया
आँखें जीत गयीं
मैं डूब रही हूँ ..
अपनी बांहों का
सहारा तो दो !!
- वंदना
वाह! आखें समंदर....क्या खूब रचा है आपने.......
ReplyDeleteखूबसूरत नज़्म
ReplyDeletesamandar haar gaya
ReplyDeleteaankhen jeet gai
wah !
kya baat hai
bahut khoob
haar aur jeet ko kya shabd diye hain ?
wah bahut sundar prastuti hai
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