Wednesday, July 31, 2013

अजीब सा रिश्ता है !

    मैंने अपने आप से वादा किया हुआ है कि मैं इस व्यस्तता मे ज्यादा  न लिख पाऊं मगर हर महीने एक रचना जरूर  ब्लॉग पर लिखती रहूँगी  !  आज ब्लॉग पर आकर देखा तो ध्यान आया कि जुलाई कि आखिरी तारिख है और इस महीने  के नाम मैंने कुछ लिखा ही नही. आज पहली बार कुछ यूँ ही लिखने के लिए लिखने कि कोशिश कर  रही हूँ  देखते हैं कितनी सफल होती है .....अच्छी बात है कि बहार बारिश है इसलिए मूड को बन्ने मे वक्त नही लगेगा ..दो चार बूंदे हथेली पर उतरते देख खुद पे खुद बन जायेगा  :)





बरसात मे भीगी खिडकी 
और मन के सीलेपन का  
अजीब सा रिश्ता है !

इन परिंदों के भीगे पंखो 
और  मेरी नम हथेली का 
अजीब सा रिश्ता है !

इन भीगी भीगी साखों 
और मेरी भीगी पलकों का 
अजीब सा रिश्ता है !

सर सर बहते पानी का 
और तसव्वुर कि रवानी का 
अजीब सा रिश्ता है !





इस सावन की बरसात का 
और तुमसे जुडी हर बात का 
अजीब सा रिश्ता है !



वंदना 











तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...