1
मेरी आँखों में ये नमी नहीं..किसी के एहसासों कि कहानी है
मैं जिस सागर में डूबकी लगाकर आयी हूँ ये उसकी निशानी है
आईना भी हँसता है मेरी बेबसी पे आजकल ..कहता है,
कब तक ये कैद दरिया लिए नजरे झुकी रहेंगी....
एक रोज तो तुम्हे ये पलके उठानी है ....*
आईना भी हँसता है मेरी बेबसी पे आजकल ..कहता है,
कब तक ये कैद दरिया लिए नजरे झुकी रहेंगी....
एक रोज तो तुम्हे ये पलके उठानी है ....*
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2
2
दिल से ये अजनबी से एहसास नही जाते
कुछ याद नही रहता ,कुछ हम भूल नही पाते
प्रीत की इस बेखुदी को करुँ मैं बयाँ कैसे
मुझे वो अल्फाज नही आते ...
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3
ऐ दिल मेरे तू क्यूं आँहे भरता है
क्यूं इस ज़माने से तू गिले करता है
खता की है तूने कसूरवार है तू
जो मोहब्बत किसी से तू करता है
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4
माना की तेरी याद बड़ी दूर से चलकर आती है
मगर सुनना कभी वो सदाएँ ,जो मेरे दिल से आती है
जब जाँ निकल जाती है तेरे ख्याल से ..और लोट कर नही आती है
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5
हमारी उल्फतो से न टकराओ के चूर हो जाओगे
न करीब आ सकोगे हमारे और ख़ुद से दूर हो जाओगे
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6
इधर ये बेबसी अपनी उधर उसकी वो तन्हाई
ये बेरुखी तेरी ऐ खुदा , हमें रास न आयी
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7
रोता देख कर मुझको जो तुम यूँ मुस्कुरा देते हो
रोते हो तो क्यूं अपना मुहँ छुपा लेते हो
ये झूठी रुसवाई हमें एक दिन मार डालेगी
क्या मोहब्बत इतना बड़ा गुनाह है ?
जिसकी ख़ुद को तुम इतनी बड़ी सजा देते हो
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8
चुभते है इस दिल में कुछ दर्द नासूर बनकर
जब भी लगाया है कोई मरहम घावो पर अपने
उसने किरोदा है मेरे जख्मो को नमक बनकर
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9
जिन्दगी अब किसी की उधारी सी हो गयी है
धड़कने इस दिल पर लाचारी सी हो गयीं है
कुछ खोकर कुछ पाने की चाह में
फिदरत अपनी अब जुआरी सी हो गयी है
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कुछ याद नही रहता ,कुछ हम भूल नही पाते
प्रीत की इस बेखुदी को करुँ मैं बयाँ कैसे
मुझे वो अल्फाज नही आते ...
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3
ऐ दिल मेरे तू क्यूं आँहे भरता है
क्यूं इस ज़माने से तू गिले करता है
खता की है तूने कसूरवार है तू
जो मोहब्बत किसी से तू करता है
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4
माना की तेरी याद बड़ी दूर से चलकर आती है
मगर सुनना कभी वो सदाएँ ,जो मेरे दिल से आती है
जब जाँ निकल जाती है तेरे ख्याल से ..और लोट कर नही आती है
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5
हमारी उल्फतो से न टकराओ के चूर हो जाओगे
न करीब आ सकोगे हमारे और ख़ुद से दूर हो जाओगे
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6
इधर ये बेबसी अपनी उधर उसकी वो तन्हाई
ये बेरुखी तेरी ऐ खुदा , हमें रास न आयी
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रोता देख कर मुझको जो तुम यूँ मुस्कुरा देते हो
रोते हो तो क्यूं अपना मुहँ छुपा लेते हो
ये झूठी रुसवाई हमें एक दिन मार डालेगी
क्या मोहब्बत इतना बड़ा गुनाह है ?
जिसकी ख़ुद को तुम इतनी बड़ी सजा देते हो
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8
चुभते है इस दिल में कुछ दर्द नासूर बनकर
जब भी लगाया है कोई मरहम घावो पर अपने
उसने किरोदा है मेरे जख्मो को नमक बनकर
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जिन्दगी अब किसी की उधारी सी हो गयी है
धड़कने इस दिल पर लाचारी सी हो गयीं है
कुछ खोकर कुछ पाने की चाह में
फिदरत अपनी अब जुआरी सी हो गयी है
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