Wednesday, February 2, 2011

सांस





एक सांस भटकती होगी 
कुछ कुछ अटकती होगी 

एक लम्बी सी ख़ामोशी 
सीने में खटकती होगी 

जहन कि  सीढ़ी  पर 
जब पाँव पटकती होगी 

उल्फत  कि डोरी  को 
जोरो से झटकती होगी  

यादों के अनगिन सिक्के 
हर रोज़ सटकती होगी !



16 comments:

  1. 'एक लम्बी सी ख़ामोशी

    सीने में खटकती होगी '

    खूबसूरत शेर .....सुन्दर ग़ज़ल

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  2. वाह....वाह.....दाद कबूल करें......बहुत खूबसूरत|

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  3. बहुत सुन्दर गज़ल...

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  4. ek lambi si khamoshi
    seene mein khatakti hogi...

    my fav...... :)

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार ०५.०२.२०११ को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  7. सरल शब्दों की सुंदर गज़ल

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  8. एक शेर है ..................

    तन्हाइयों मै न ठुन्ड़ो हमे दिल मै समां जायेंगे !

    तम्मना है अगर मिलने की तो बंद आँखों मै भी नज़र आयेंगे !

    खुबसूरत ग़ज़ल !

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  9. सहज-गम्य खूबसूरत गज़ल .....

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  10. बहुत अच्छी ग़ज़ल है। बधाई।

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  11. बहुत सुन्दर्।

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  12. बहुत सुन्दर ...साँस भटकाओ मत ...

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  13. सुन्दर गज़ल ..
    सुंदर भावाभिव्यक्ति....
    बधाई।

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  14. wow....so creative you are :D

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  15. बहुत ही उम्दा.
    ग़ज़ल का नकाब ओढ़े नज़्म.
    आप की कलम को शुभ कामनाएं.

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...