Monday, February 22, 2016




बहुत कुछ था मेरे पास 
जो मैं कह देना चाहती थी 

मगर मौन यूं  गहरा गया  जिंदगी में 
कि बहुत सोचती हूँ कुछ बोलने से पहले 

अब सोचती हूँ तो लगता है 
एक पूरी कहानी थी 
 जो सुनानी थी तुमको 
मगर वो भी खर्च हो गयी 
सिर्फ सोचने मैं 

आज मैं फिर सोच रही हूँ 
एक आखिरी बार "मुबारक"
कहना है तुम्हे !!








तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...