Wednesday, January 7, 2015

ऐ आते हुए साल तुम्हारा स्वागत है !!




आओ नए साल 
तुम्हारे लिए मैंने 
बहुत काम रखें हैं 

बुना है जिसे उंगलियों पर 
मैंने अपनी यादों में 
तुम्हे वह वक्त मिटाना है 

 बहुत कुछ पड़ा है 
ज़हन की आलमारी में 
जिसे तुमको उठाना है 

मुझे आज़ादी दिला देना 
गिरहों की इस जकड़ से 
खोल देना ज़हन में पड़ी 
 तमाम गाठों को

बहुत गहरा है  
वक्त का ये ठहरा हुआ सागर 
मुझे डूब जाने का डर है 
तुम प्लीज़ पार करा देना 


खामोशियाँ मुझमें 
एक  हिम के शिवाले  सा 
आकार लेती हैं 
तुम उसको मिटा देना 
गला देना 


मेरे मारे हुए मन का 
हारी हुई अना से 
समझौता जरूरी है 
बस यही एक बात 
छोटी सी 
इस दिल को बता देना 


किया है गुज़रे वक्त ने 
मेरी रूह को बोझिल 
बस कांधो को थोड़ा तुम 
और  मजबूत बना देना 

हर बोझ मुझे अपना 
खुद ही ढोने की आदत है 

ऐ आते हुए साल तुम्हारा स्वागत है !! 






तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...