कोई गीत नये सुरों में जब गाया जायेगा
साँसों के साज़ को कैसे भुलाया जायेगा
धूप है कहीं छांव कहीं अँधेरा भी होगा
हमारे साथ कहाँ तक ये साया जायेगा
तवक्को फकत एक उदासी का सामान है
ये बोझ दिल से कब तक उठाया जायेगा
यूँ हम पर कोई भी इल्जाम तो नही है
मगर क्या आइने से पीछा छुड़ाया जायेगा
न ताल्लुक कम हुआ है न राब्ता ,मगर
न वो आ सकेगा न हमसे बुलाया जायेगा !
वंदना