1.
हर एक मुराद दिल कि
खुद से हारी हुई
मालूम होती है ..
के सजदे में हैं
मगर
मांगती कुछ नहीं !!
2.
आँखों के खामेजां
कुछ ख़्वाब उदास थे
....तमाम रात
नींद सिराहने बैठी
सिसकती रही !!
3.
अपनी दरबदरी का सबब मैं खुद ही तो हूँ
मैंने उससे पनाह चाही जो खुद बे घर था !
4.
जिससे जितना भी मिलो..
दिल खोल कर मिलना ..
जिंदगी लम्बी सही मगर ..
रिश्तो कि उम्र बहुत छोटी है !
5.
गुमान कोई भी हो अच्छा नहीं होता ,
जिंदगी आईना सा दिखा देती है एक रोज़ ...
6.
इससे ज्यादा किसी मासूम को
वक्त भला क्या समझाए ?
जो टूटे हुए खिलौनों में
बचपन रहा हो ढूंढ !..
7
.
वो गुनाह भी कबूल है ..ये सजा भी कबूल है
रो रो कर हार गये ..खुद से भागने में ,
जिंदगी अब तो तेरा हर एक इल्जाम कबूल है .
रो रो कर हार गये ..खुद से भागने में ,
जिंदगी अब तो तेरा हर एक इल्जाम कबूल है .
8.
इसके अपने वसूल अपने कायदे है
हर एक वजूद को सलीके से तोलती है
सुनने कि आदत डालो वंदना
.जिंदगी जब भी बौलती है खरा बोलती है
सुनने की आदत डालो वंदना
ReplyDeleteज़िन्दगी जब भी बोलती है खरा बोलती है...
वाह...इस अनूठी रचना के लिए बधाई स्वीकारें....
नीरज
'अपनी दरबदरी का सबब मैं खुद ही तो हूँ
ReplyDeleteमैंने उससे पनाह चाही जो खुद बेघर था '
बहुत सुन्दर ......आठों नज्में खूबसूरत ढंग से खुद को बयां कर रही हैं
काफी कुछ सोचा है आपने, बचपन को टूटे खिलौने में ढूंढने सा।
ReplyDeleteek se badh kar ek jane kitni baar parha
ReplyDeleteजिससे जितना भी मिलो..
ReplyDeleteदिल खोल कर मिलना ..
जिंदगी लम्बी सही मगर ..
रिश्तो कि उम्र बहुत छोटी है !
Bahut hi sunder.
अधूरी नज्में ही सही लेकिन पूरी कहानी कहती हैं.
ReplyDeleteसभी खूबसूरत हैं.
सभी एक चेहरा लिए हुए हैं.
आप की कलम को ढेरों सलाम.
mera comment kahan gaya....!!!
ReplyDelete:(
@ All ..bahut bahut shukriyaa aap sabhi ka :)
ReplyDelete@ saanjh ....yaar mujhe nahi mila :( may be post karna bhool gyin hongi tum ..koi baat nahi tumne padha itna hi kaafi hai mere liye :)
वंदना जी,
ReplyDeleteसाडी अधूरी पूरी से भी बढ़िया बन पढ़ी है....आखिरी वाली तो सबसे बेहतरीन है......जिंदगी जब भी बोलती है.......बहुत खूब.......आपकी कलम को मेरा सलाम|
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (12.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
bahut sunder
ReplyDeletevandana ji
...
सुन्दर और भावपूर्ण कविताएं । बधाई।
ReplyDeletechhoti chhoti bahut sundar rachnayen hain.
ReplyDeleteजिन्दगी जब भी बोलती है खरा बोलती है
ReplyDeleteवाह वंदना जी , बहुत अच्छा लिखा ...लेखनी भी दिल से बोले तो खरा ही बोलती है ..
एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुंदर .बधाई
ReplyDeletewaise to all are gud...but mine fav are 4,5,8 :)
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