है इबादत कोई या दुआ है जिंदगी
हर मौसम में बहती हवा है जिंदगी
बहारो से गुजरे तो महकता गुलशन
पतझड़ में दहकता धुंआ है जिंदगी
किसी के वास्ते है अंधेरों का सफ़र
किसी के लिए एक शुआ है जिंदगी
खोकर है पाना ,पाकर है खोना
इक खेल है एक जुआ है जिंदगी
कौन समझे सच किसी का यहाँ
झूठ जीने का कारवाँ है जिंदगी !
"वंदना"
Bahut khoob ,shuru chaar panktiyan to khoob bhaaeen ...
ReplyDeleteachha likha hai
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
jhooth jeena ka karwa hai zindagi.....is it?? :O :O
ReplyDeletekarva to hai hi....saath-saath jhoot ka bazaar hai zindgi...badhiya gazal
ReplyDeletethanks all :)
ReplyDelete@ soumyaa ..i think soo becoz apna sach sirf ham jaante hain ..jindagi me kirdaar jine padte hain :)
caarvaan to hai....par jhooth nahin....saare gham sari khushi...sab sach hai...thats the sad part !
ReplyDeletebeautiful ghazal
बहुत ही यथार्थ जीवन दर्शन..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteवंदना जी,
ReplyDeleteपोस्ट बहुत अच्छी लगी....शेर बहुत उम्दा बने हैं.....
जिंदगी जीने का हर किसी का अलग नजरिया है और जैसा नजरिया वैसी ही जिंदगी.....कभी फूलों सी महकती तो कभी कांटो सी चुभती ये जिंदगी.....बहुत खूब|
हर शेर अपन आप में मुकम्मल है..
ReplyDeleteBahut badhiya Vandu...kaafi din k baad aaya hun tumhare blog par. Maza aagaya. :)
ReplyDeleteवंदना जी !! बहुत ही उम्दा ..हर शेर नायाब ... वाह
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