Monday, January 31, 2011

त्रिवेणी





मन कि दुनिया बड़ी ,जहान छोटा था 
मेरे हिस्से का वो आसमान छोटा था !

अपनी परवाज़ को सौंपे हैं भरम कैसे कैसे !!


'वन्दना '




4 comments:

  1. awwwwwwwwwwesome....!!!!!!!!!

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  2. लाजवाब .
    परवाज़ कैसी हो,आसमान कैसा भी हो, बस उड़ते रहीये

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...