सोचती हूँ इस फ़साने का अब कोई अदम लिख दूं
क़त्ल ए किरदार से पहले एक आखरी नज्म लिख दूं ....
जिंदगी नयी शर्तों पर फिर जीने के मोहलत ले आयी ...
इसे साँसें बख्शने से पहले मरता हुआ गम लिख दूं
ये सदायें ,चुभन ,बेचैनिया गर बेसबब हैं तो क्यूं हैं ?
कोई जवाब दे ,तो इस इबादत को मैं एक भरम लिख दूं
चलो मान लेते हैं दिल को दिल से कोई राह नहीं होती
उदास है हवा.. तो क्यूं अपने मौसम मैं नम लिख दूं
इश्क, मोहब्बत या महज एक पागलपन ,जो भी हो
जी चाहता है ,हर एक आरजू पे मैं सारे जनम लिख दूं
वंदना
ओह्ह्ह....आखिरी शेर तो गज़ब का है ....
ReplyDeleteमज़ा आ गया सुबह सुबह...
मैं चला फेसबुक पर ढिंढोरा पीटने....:D
हृदयस्पर्शी ग़ज़ल।
ReplyDeleteवाह ..बहुत खूबसूरत गज़ल
ReplyDeletebahut sunder...
ReplyDeletewow!!!!!!!!
ReplyDeletekitne syahiyaan hamne giraye kitne panne humne kharach kar di //
sochta hun koi mila de mujse humein ab, kuch apne baaren me likh dun//
बहुत खूब ... क्या लाजवाब गज़ल है ... गहरा एहसास लिए ...
ReplyDeletevaah ,apsand aaye ..
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (27-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सुन्दर...क्या बात है..?
ReplyDeletekhubsurat aur marmik gazal...
ReplyDeletewah bahut badiyaa gajal.aakhari sher ne to dil ko choo gayaa.badhaai sweekaren.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...बधाई
ReplyDeleteबहुत खूब ! हरेक शेर बहुत उम्दा..
ReplyDeleteGAHRE AHSAASON KI SUNDAR RACHNA.
ReplyDeleteइस भावपूर्ण रचना के लिए तहे दिल से दाद कबूल करें
ReplyDeleteनीरज
vandna ji
ReplyDeletebus kya kahen aapse
बहुत गहरी संवेदनाऐं।
ReplyDeleteदिल को छू कर निकल गई।
दर्द को शब्दों के सांचे में ढाल दिया है ।
आभार अफसोस की बहुत देर से आपके बलॉग पर आ सका।
सुन्दर रचना ... भावपूर्ण
ReplyDeletebeautiful :)
ReplyDeleteWonderful blog! I found it while surfing around on Yahoo News.
ReplyDeleteDo you have any tips on how to get listed in Yahoo News? I've been trying for a while but I
never seem to get there! Thank you