Sunday, April 8, 2012

ग़ज़ल

ये क्या शोक तुमने पाले हुए हैं 
एहसास मानो रिसाले* हुए हैं  

तपती धूप और लम्बा है सफ़र
पाँव  में अभी से क्यूं  छाले हुए हैं 

जाँ से गुजरते जुगनू  को देखो 
बाद मुद्दत के जैसे उजाले हुए हैं 

सबब डूबने का तुम पूछो उनसे 
मौजो के खुद जो हवाले हुए हैं 

चुराए हुए कुछ पल जिंदगी से 
न पूछो क्यूं अबतक संभालें हुए हैं 


- वंदना 

9 comments:

  1. मनभावन |
    आसान शब्द जबरदस्त भाव |

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  2. बहुत ही खूबसूरत गज़ल! बधाई !

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  3. न पूछो क्यूं अब तक संभाले हुए है..
    बहुत खूब....

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  4. तपती धूप और लम्बा है सफ़र
    पाँव में अभी से क्यूं छाले हुए हैं

    वाह बहुत खूबसूरत गजल

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  5. वाह.................

    बेहद खूबसूरत गज़ल.............
    हर शेर प्यारा.....

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  6. लाजवाब गज़ल ... हर शेर पे वाह वाह निकलती है ...

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  7. बहुत ही खूबसूरत गज़ल! अति व्यस्त्तता के चलते ब्लॉग से दूर रही किंतु आपके खूनसूरत शेरों को पढकर मन बाग बाग हो गया। बधाई !

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...