जब वक्त कि धुंध में
यादे कहीं खोने लगें ..
जब्त कि थपकियों से
ख्वाइशे सब सोने लगें ..
बदल ने लगें मायने
अगर मेरी तहरीरों के ..
हर खलिश दिल कि
मौन अगर होने लगे..
जब ख्यालों का नगर
ख़ाली ख़ाली सा हो..
जब अहसासों कि
दुनिया भी रितने लगे ..
जीवन के किसी मौड़ पर
मैं खुद को कहीं भूल जाऊं
बस ऐसे कुछ कमजोर
पलों में ....तुम मुझको
आवाज लगाते रहना..
मैं चाहूँ या ना चाहूं
ऐ खुमार ए तसव्वुर
तुम यूँ ही आते रहना.. !
' वंदना '
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteयादें ही बन जाती हैं सहारा..............
ReplyDeleteबहुत सुंदर वंदना जी....
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है।
ReplyDeleteबहुत खूब ...खूबसूरत खयाल
ReplyDeleteजीवन के किसी मौड़ पर
ReplyDeleteमैं खुद को कहीं भूल जाऊं
बस ऐसे कुछ कमजोर
पलों में ....तुम मुझको
आवाज लगाते रहना..
मैं चाहूँ या ना चाहूं
ऐ खुमार ए तसव्वुर
तुम यूँ ही आते रहना.. !
.... बहुत प्यारी अभिव्यक्ति
यादें अच्छी हो या बुरी ,यही अंत में यही अपने पास रह जाती हैं...बहुत भावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDelete"तुम मुझको आवाज़ लगाते रहना.."
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत भाव ऐर रचना
waah....kya baat hai....beautiful!!
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