ये क्या शोक तुमने पाले हुए हैं
एहसास मानो रिसाले* हुए हैं
तपती धूप और लम्बा है सफ़र
पाँव में अभी से क्यूं छाले हुए हैं
जाँ से गुजरते जुगनू को देखो
बाद मुद्दत के जैसे उजाले हुए हैं
सबब डूबने का तुम पूछो उनसे
मौजो के खुद जो हवाले हुए हैं
चुराए हुए कुछ पल जिंदगी से
न पूछो क्यूं अबतक संभालें हुए हैं
- वंदना
मनभावन |
ReplyDeleteआसान शब्द जबरदस्त भाव |
बहुत ही खूबसूरत गज़ल! बधाई !
ReplyDeleteन पूछो क्यूं अब तक संभाले हुए है..
ReplyDeleteबहुत खूब....
तपती धूप और लम्बा है सफ़र
ReplyDeleteपाँव में अभी से क्यूं छाले हुए हैं
वाह बहुत खूबसूरत गजल
वाह.................
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत गज़ल.............
हर शेर प्यारा.....
लाजवाब गज़ल ... हर शेर पे वाह वाह निकलती है ...
ReplyDeleteKhubsurat bhav
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत गज़ल! अति व्यस्त्तता के चलते ब्लॉग से दूर रही किंतु आपके खूनसूरत शेरों को पढकर मन बाग बाग हो गया। बधाई !
ReplyDeletevadiyaa...
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