Saturday, February 25, 2012

त्रिवेणी



जिंदगी तेरे पहलू में हम जितना उतरते हैं 
हर कदम पे चलकर एक नई मौत मरते हैं 

हर रोज बदल जाती हैं जीवन कि परिभाषाएं... !! 

- वंदना

9 comments:

  1. बेहतरीन भाव ...

    ReplyDelete
  2. गंभीर घाव करती पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  3. बहुत खूब ... लाजवाब ...

    ReplyDelete
  4. सही कहा आपने ..जिंदगी हर पल रंग बदलती है ..

    जिंदगी की खुशियाँ
    दामन में नहीं सिमटती
    ऐ मौत ! आ
    मुझे गले लगा ले ...

    ReplyDelete
  5. जितना भी सुल्झाते हैं इसे
    और उलझती है ज़िन्दगी !
    बहुत सुंदर वंदना जी

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...