Thursday, January 19, 2012

त्रिवेणी



नया साल आया ,दिन वही पुराने लौट आए 
अभी जो गुजरे थे ..फिर वही मौसम लौट आए,

 तुम जो लौट आओ ..तो लौट आएँ वो ज़माने भी !!


वंदना




8 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति!
    --
    घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच
    लिंक आपका है यहाँ, कोई नहीं प्रपंच।।

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  2. बेहतरीन कथन

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  3. आपकी त्रिवेणी की एक और बूंद........मिठास है इसमें और बेहतरीन
    मांग सजा ली, लहठी पहन ली,
    चलो मेले, फिर से तमाशेवाले आये हैं..........

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  4. सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

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  5. सही और सटीक प्रस्तुति...

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  6. kya baat kah di vandna ji..
    dil khush ho gaya yaar :) :)

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  7. मौसम तो हर साल आते है और हर साल
    बदलता है नया साल भी
    बस तुम आ जो तो इनमे बहार आ जाये ..
    बेहतरीन प्रस्तुती ...

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...