Wednesday, September 14, 2011

गीत - जिंदगी ए जिंदगी






हँसना सिखाती है ..रोना सिखाती है 

मरती हुई दुनिया में जीना सिखाती है 

जिंदगी ए जिंदगी ...तू कितना सताती है ...


जीने के लिए नही मिलते  जीने के बहाने भी 

कभी रह जाते हैं अधूरे ,   जीवन के फ़साने ही 

साँसे बख्शती है तो धड़कने चुराती है 

जिंदगी ए जिंदगी , तू कितना सताती है 

- - - - - -- - - - - - - - - - - - - - - - - - - 

आँखों में पलते ख़्वाब पानी के बुलबुलें हैं 

है मंजिल याद मगर ...जैसे रस्ता  भूले हैं 

देकर अँधेरे  तू ....जलना सिखाती है ..

जिंदगी ए जिंदगी , तू कितना सताती है 

  - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -  

हँसना सिखाती है ..रोना सिखाती है 

मरती हुई दुनिया में जीना सिखाती है 

जिंदगी ए जिंदगी ...तू कितना सताती है  |


- वंदना 


8 comments:

  1. वाह... बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ लिखी हैं.. बधाई :)

    ReplyDelete
  2. सच ही ज़िंदगी बहुत कुछ सिखाती है ...

    ReplyDelete
  3. बहुत ही खुबसूरत रचना....

    ReplyDelete
  4. बढ़िया रचना।
    इसी का नाम दुनिया है!

    ReplyDelete
  5. वाह निःशब्द करते शब्द , सुन्दर अति सुन्दर

    ReplyDelete
  6. आँखों में पलते ख्वाब पानी के बुलबुले हैं....

    सुन्दर गीत.... सादर बधाई...

    ReplyDelete
  7. इसी का नाम जिन्दगी है......बहुत सुन्दर रचना...

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...