हमको जब भी तुझपे प्यार आया
बे अदब बे वजह बे शुमार आया ..
महक उठे दिल के तयखाने तमाम
तसव्वुर का जब भी खुमार आया..
रुख बदलने लगी जिंदगी कि हवा
रातों कि चांदनी में निखार आया..
प्यास आँखों कि आंसू में ढली ऐसे
कैद दरिया में जैसे उतार आया ..
गूंजती है सदाओं से गली उसकी
मैं बेख्याली में उसे पुकार आया..
- वंदना
यह प्यार और यह जज्बात जब भी किसी पर उमड़ते हैं हम खुद को भूल जाते हैं .....आपका आभार
ReplyDeleteबेहद शानदार लाजवाब गज़ल । एक-एक शे’र लाजवाब।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ग़ज़ल....
ReplyDeletejab bhi pyaar aaya- beshumaar aaya
ReplyDeletebehtareen gazal
लाजवाब शेर हैं सभी इस रूमानी गज़ल के ...
ReplyDeleteबेहद उम्दा मतला..... वाह... वाह...
ReplyDeleteगज़ब के ख़याल हैं...
सादर बधाई...
मतले से मकते तक खूबसूरत घज्ला, बहुत खूब!
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