हँसना सिखाती है ..रोना सिखाती है
मरती हुई दुनिया में जीना सिखाती है
जिंदगी ए जिंदगी ...तू कितना सताती है ...
जीने के लिए नही मिलते जीने के बहाने भी
कभी रह जाते हैं अधूरे , जीवन के फ़साने ही
साँसे बख्शती है तो धड़कने चुराती है
जिंदगी ए जिंदगी , तू कितना सताती है
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आँखों में पलते ख़्वाब पानी के बुलबुलें हैं
है मंजिल याद मगर ...जैसे रस्ता भूले हैं
देकर अँधेरे तू ....जलना सिखाती है ..
जिंदगी ए जिंदगी , तू कितना सताती है
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हँसना सिखाती है ..रोना सिखाती है
मरती हुई दुनिया में जीना सिखाती है
जिंदगी ए जिंदगी ...तू कितना सताती है |
- वंदना
वाह... बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ लिखी हैं.. बधाई :)
ReplyDeleteसच ही ज़िंदगी बहुत कुछ सिखाती है ...
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत रचना....
ReplyDeleteबढ़िया रचना।
ReplyDeleteइसी का नाम दुनिया है!
bahut hi achhi gazal
ReplyDeleteवाह निःशब्द करते शब्द , सुन्दर अति सुन्दर
ReplyDeleteआँखों में पलते ख्वाब पानी के बुलबुले हैं....
ReplyDeleteसुन्दर गीत.... सादर बधाई...
इसी का नाम जिन्दगी है......बहुत सुन्दर रचना...
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