Saturday, August 6, 2011

आईना




उदास देखकर मुझे मुस्कुराया कभी ,

यूँ ही बेवजह  मुझको हँसाया कभी ..

बिन बोले इसने सारे ही राज़ ले लिए मेरे 

अजीब  रम्श-सिनाश*   है  ये आईना भी ..

इसने अक्सर बेबात ही बहुत रुलाया मुझको  !





रम्श-सिनाश* = friend -who understand the hints



- वंदना 


9 comments:

  1. दर्पण झूठ न बोले।

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  2. मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
    तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
    अवगत कराइयेगा ।

    http://tetalaa.blogspot.com/

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  3. मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.

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  5. अच्छी रचना है!
    --
    मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  6. सार्थक पोस्ट...

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  7. सुन्दर और सार्थक पोस्ट..मित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ...

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  8. thode shabdon ki vishal paridhi prabhavshali hai . shukriya ji

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  9. bahut hi sundar
    aaena sache ko chalakathi hai

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...