गीत, ग़ज़ल, नज्म ..ये सब मेरी साँसों कि डोर, महंगा पड़ेगा बज्म को मेरी खामोशियों का शोर ! --- "वन्दना"
Saturday, August 6, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
तुम्हे जिस सच का दावा है वो झूठा सच भी आधा है तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं कोरे मन पर महज़ लकीर...

-
बंद दरिचो से गुजरकर वो हवा नहीं आती उन गलियों से अब कोई सदा नहीं आती .. बादलो से अपनी बहुत बनती है, शायद इसी जलन...
-
इन सिसकियों को कभी आवाज मत देना दिल के दर्द को तुम परवाज मत देना यहाँ अंदाज ए नजर न तुझे तेरी ही नजर में गाड़ दे भूलकर भी किसी को ...
-
वफायें ..जफ़ाएं तय होती है इश्क में सजाएं तय होती हैं पाना खोना हैं जीवन के पहलू खुदा की रजाएं.. तय होती हैं ये माना... के गुन...
दर्पण झूठ न बोले।
ReplyDeleteमित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.
ReplyDeleteअच्छी रचना है!
ReplyDelete--
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
सार्थक पोस्ट...
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक पोस्ट..मित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ...
ReplyDeletethode shabdon ki vishal paridhi prabhavshali hai . shukriya ji
ReplyDeletebahut hi sundar
ReplyDeleteaaena sache ko chalakathi hai