होके बेकरार मेरी साँसे आहट ओ सदा ढूंढें,
रुक रुक के धडकनें तेरे होने के निशाँ ढूंढें ..!
तू छुप गया किसी गुलशन में खुशबू कि तरह,
आरजू ए दिल ए नादाँ * तुझे बनके हवा ढूंढें ..!
आरजू ए दिल ए नादाँ * तुझे बनके हवा ढूंढें ..!
इक तलाश इन आँखों को सौपी गयी हो जैसे,
जिंदगी किस डगर जायें ,तुझे कहाँ कहाँ ढूंढें..!
मेरी आँखों में ठहर गया है बनके हया कोई,
ये नजरें आईने में फिर ना जाने क्या ढूंढें ..!
मेरे हाथों कि बनायीं तू इक तस्वीर ही तो है,
फिर किस्मत कि लकीरों में क्यूं भला ढूंढें..!
झांककर देखा जो कभी ,खुद में पाया तुझको,
बेचैनियाँ ये पागल मन की यहां वहां ढूंढें .. !
बेचैनियाँ ये पागल मन की यहां वहां ढूंढें .. !
तू महज इक तसव्वुर है दिल के ख़ालीपन का,
कैसे तुझमे कोई एहसास ए भरम ए वफ़ा ढूंढें ..!
दिल को छूने वाली प्यारी-प्यारी सुन्दर अभिव्यक्ति.....
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब कहा है ..बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteआज 22- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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वाह वाह वाह मज़ा आ गया दोस्त एक एक शब्द जैसे खुद बोल रहा हो :)
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत गज़ल :)
बहुत ही सुंदर ग़ज़ल...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गज़ल..हरेक शेर दिल को छू जाता है..
ReplyDeleteबेचैनियाँ ये पागल मन की, यहाँ-वहाँ ढ़ूँढे
ReplyDeleteवाह ! बहुत खूब.
हर शेर लाजवाब.
हृदयस्पर्शी ग़ज़ल।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से लिखे मन के भाव ..खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूबसूरती के साथ आपने यह प्रस्तुति प्रस्तुत की
ReplyDeleteभावनाओं का मौलिक प्रकटीकरण पसंद आया जी / शुक्रिया .../
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल , सुन्दर प्रस्तुतीकरण
ReplyDeleteवाह..बेहद उम्दा ग़ज़ल.. :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गज़ल.. एक एक शेर अपनी कहानी खुद ही कह रहा है .. भावनाओं को अच्छे शब्द दिए है आपने ..
ReplyDeleteबधाई
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html