Saturday, January 29, 2011

खुदा कि रजायें ..तय होती हैं



वफायें  ..जफ़ाएं   तय होती है 
इश्क में सजाएं  तय होती हैं 

पाना खोना हैं जीवन के पहलू 
खुदा की  रजाएं.. तय होती हैं 

ये माना... के गुनहगार हूँ मैं 
मगर कुछ खताएं तय होती हैं 

कोई मौसम सदा नहीं रहता 
जिन्दगी में हवाएं तय होती हैं 

होनी को चाहिए ...बहाना कोई 
अनहोनी कि वजहायें तय होती हैं 

वन्दना 


23 comments:

  1. बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल.हर शेर बेहतरीन
    हर शेर अलग ही ग़ज़ल कहता है.सलाम

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  2. पाना खोना हैं जीवन के पहलू----- वाह लाजवाब।सुन्दर गज़ल के लिये बधाऊ।

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  3. vandu..khayaal bahut acchi hain... 'vajhaayen' koi shabd nahi hota... 'vajhaat' hota hai ....tumne radeef bahut accha liya... kabhi main bhi likhunga is par...

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  4. बहुत खूब |

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  5. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (31/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  6. वंदना जी,

    बहुत खुबसूरत ग़ज़ल.......वाह....
    पोस्ट अगर अच्छी हो तो टिप्पणीयाँ तय होती हैं :-)

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  7. anhoni ki wajaheyin tay hain......kya baat hai yaara...too good :)

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  8. एक से बढकर एक प्रस्तुति...

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  9. लाजवाब रचना...बधाई स्वीकारें
    नीरज

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  10. बढ़िया,बढ़िया,बढ़िया,.

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  11. bahut hi pyari kavita hai.. itni achi lagi mujhe ki taarif ke liye lafz hi nhi mil rahe.. love this..
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  12. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 01- 02- 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  13. कोई मौसम तय नहीं रहता
    जिंदगी में हवाएं तय होती हैं
    खूबसूरत शेर.....उम्दा ग़ज़ल

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  14. उसकी रज़ा के बिन बोल नहीं फूटते....ये सारा इल्म उसकी रज़ा, तोहफा और नवाजिश ही तो है. May god bless you

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  15. भावपक्छ से मजबूत अभिव्यक्ति के लिये मुबारकबाद,पर जाने क्यूं मैं ये इसके बहर( छद) को समझ नहीं पा रहा हूं।

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  16. बहुत सुन्दर गजल लिखी है आपने!

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  17. सब कुछ तय होता है फिर भी व्यक्ति असुरक्षा के दौर से गुज़रते रहता है। इश्किया अहसासों में डूबी एक शबनमी गज़ल के लिए शुक्रिया।

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  18. बहुत खूब...लाज़वाब गज़ल..

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  19. यही जीवन का खेल है..... बेहतरीन ग़ज़ल.....

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  20. itna saara wisdom kahan se laati ho ??/?/

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  21. वंदना जी आपकी इस रचना को चर्चा मंच पर साँझा किया गया है

    http://kavita-manch.blogspot.in

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...