बहुत बोलती हैं ये नज्मे ..
ये ग़ज़ल ये तहरीरे ...
मुझसे भी कहीं ज्यादा
..
जिस तरह तुम्हारी
एक छोटी सी हम्म पर
आकर खत्म हो जाती थी
मेरी लम्बी लम्बी वो फिजूल बाते
बस उसी तरह
खामोश करना चाहती हूँ इन्हें मैं
मगर नहीं लेती चुप होने का नाम !
तो न चाहते हुए भी
समेटती हूँ अंतर्मन के शोर को
बिना रुके word pad पर
आखिरकार जब वो शांत हो जाती है
तो झट से Ctrl and dlt
सब खत्म ..
ना बोझ दिल पर
न दिमाग पर .
..
ठीक तुम्हारी ही तरह !!
:-) Badle badle se mere sarkaar nazar aate hain...Ye computer mara life mein set ho gaya hai... ab to kavitaon mein bhi baaten karne laga hai :-)
ReplyDeleteमन के एहसासों को खूबसूरती से लिखा है ..पर डिलीट कहाँ किया ?
ReplyDelete@ sangeeta aunty .....vo fijool ki baat dlt karti hoon ..ab saari hi dlt karti rhoongi to najme bagavat kar daalengi :):)
ReplyDeleteवंदना जी,
ReplyDeleteशुरुआत बहुत अच्छी थी.....एक बेहतरीन नज़्म बन सकती थी.....पर माफ़ कीजिये मुझे आखिर पसंद नहीं आया.........
बहुत ही उम्दा .
ReplyDeleteकविता में की बोर्ड .
वाह !
कभी कभी सेव करना भी ठीक है.
बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति .
क्या खूब लिखा है वन्दना……………कुछ बातें डिलीट करनी पडती हैं शायद वो उतनी गहनता से शब्दो मे नही समा पातीं।
ReplyDeleteडिलीट ना किया तो सब, खुद पढना ही मुश्किल हो जाए :)
ReplyDeleteकुशलता से पिरोया है मन के भावों को
की बोर्ड के शब्दों का बिम्ब और भावपूर्ण रचना ...? बहुत खूब
ReplyDeleteoho!!!....nice one dear :)
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