Sunday, September 26, 2010

काश !



काश ! के जिन्दगी से आगे
हम एक कदम बढ़ाये
खुद को खुद से ले चले कहीं दूर
जहाँ अहम् कि बेडिया
मासूम सी ख्वाहिशो को
कभी जकड ना पायें ..

ना स्वार्थी से सपने
इन लम्हों को छीन ना पायें..
हर पल में बीतती उम्र ठहर जाये
किसी मासूम से लम्हे कि ठंडी छाँव में !

जहाँ हवा में उछलती ख्वाइशे
हर बेबशी को ठोकर मारती हुई
आसमां के सीने पर लिख दे
अपनी उसूलों कि तहरीर..
जो सूरज कि तेज किरणों कि तरह
चुभती रहे इस जहां कि आँखों में बेसक
कोई बादल कितना बरसले कितना भी गरजले
न मिट सके कभी वो लिखा हुआ सब कुछ
बिल्कुल मेरी हथेलियों पर बनी
चंद लकीरों कि तरह
जिसे रोज पढ़े ये जहाँ !

दिल को बेफिजूल किसी से इल्तजा ना हो
जहाँ बेबुनियाद कोई एहसास
दिल कि जड़े ना कुरेद पाए
कोई टीस सीने से उठकर जब्त होती हुई
गले कि रगों में दम ना तोड़ती हो ...

जहाँ किसी कि चाह ना सांस ले
निर्जीव सी हृदय पटल पर
जहाँ खुद को खोने कि निराशा
गुनाह बनकर साथ ना चलती हो

काश !के जिन्दगी से आगे
हम एक कदम बढ़ाये
खुद को खुद से ले चले कहीं दूर...

-वंदना

14 comments:

  1. वाह..............बढ़िया प्रस्तुति जी

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  2. जहाँ हवा में उछलती ख्वाइशे
    हर बेबशी को ठोकर मारती हुई
    आसमां के सीने पर लिख दे
    अपनी उसूलों कि तहरीर..
    जो सूरज कि तेज किरणों कि तरह
    चुभती रहे इस जहां कि आँखों में बेसक

    दर्द को खूबसूरती से शब्द दिए हैं ..एक सकारात्मक सोच के साथ ..

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  3. आसमां के सीने पर लिख दे
    अपनी उसूलों कि तहरीर..
    बहुत खूब लिख तो रही हैं आप। शुभकामनायें

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  4. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 28 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  5. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 28 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  6. काश! जैसा आकाश
    मासूम ख्वाइशे
    एक ख्वाइश ने पंख फैलाए के बदली आ गई

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  7. bahut hi khubsurat rachna...
    yun hi likhte rahein....

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  8. आसमां के सीने पर लिख दे
    अपनी उसूलों कि तहरीर..
    सार्थक और अर्थपूर्ण शब्द चयन. बेहतरीन भाव. सुन्दर रचना

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  9. काश ऐसा हो जाए ...
    अच्छी कविता ...

    टाइप में मैं भी बहुत गलतियाँ करती हूँ मगर यहाँ जिस पर मेरा ध्यान गया ...
    बेबस ..
    बेशक़ ...
    की..

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  10. काश !के जिन्दगी से आगे
    हम एक कदम बढ़ाये
    खुद को खुद से ले चले कहीं दूर...

    काश !....bahut hi sundar abhivyakti .

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  11. बहुत उम्दा!!

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  12. ================================
    मेरे ब्लॉग पर इस बार थोडा सा बरगद..
    इसकी छाँव में आप भी पधारें....

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  13. बहुत खूब तराने लिखती हैं आप .......... खुदा आपकी कलम को तरकियां बक्शे .!
    मैं तो पहली बार में आपका मुरीद हो चला हूँ...

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...