काश ! के जिन्दगी से आगे
हम एक कदम बढ़ाये
खुद को खुद से ले चले कहीं दूर
जहाँ अहम् कि बेडिया
मासूम सी ख्वाहिशो को
कभी जकड ना पायें ..
ना स्वार्थी से सपने
इन लम्हों को छीन ना पायें..
हर पल में बीतती उम्र ठहर जाये
किसी मासूम से लम्हे कि ठंडी छाँव में !
जहाँ हवा में उछलती ख्वाइशे
हर बेबशी को ठोकर मारती हुई
आसमां के सीने पर लिख दे
अपनी उसूलों कि तहरीर..
जो सूरज कि तेज किरणों कि तरह
चुभती रहे इस जहां कि आँखों में बेसक
कोई बादल कितना बरसले कितना भी गरजले
न मिट सके कभी वो लिखा हुआ सब कुछ
बिल्कुल मेरी हथेलियों पर बनी
चंद लकीरों कि तरह
जिसे रोज पढ़े ये जहाँ !
दिल को बेफिजूल किसी से इल्तजा ना हो
जहाँ बेबुनियाद कोई एहसास
दिल कि जड़े ना कुरेद पाए
कोई टीस सीने से उठकर जब्त होती हुई
गले कि रगों में दम ना तोड़ती हो ...
जहाँ किसी कि चाह ना सांस ले
निर्जीव सी हृदय पटल पर
जहाँ खुद को खोने कि निराशा
गुनाह बनकर साथ ना चलती हो
काश !के जिन्दगी से आगे
हम एक कदम बढ़ाये
खुद को खुद से ले चले कहीं दूर...
-वंदना
bahut sunder abhivyakti...kash aisa ho jaye.
ReplyDeleteवाह..............बढ़िया प्रस्तुति जी
ReplyDeleteजहाँ हवा में उछलती ख्वाइशे
ReplyDeleteहर बेबशी को ठोकर मारती हुई
आसमां के सीने पर लिख दे
अपनी उसूलों कि तहरीर..
जो सूरज कि तेज किरणों कि तरह
चुभती रहे इस जहां कि आँखों में बेसक
दर्द को खूबसूरती से शब्द दिए हैं ..एक सकारात्मक सोच के साथ ..
आसमां के सीने पर लिख दे
ReplyDeleteअपनी उसूलों कि तहरीर..
बहुत खूब लिख तो रही हैं आप। शुभकामनायें
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 28 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
ReplyDeleteकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 28 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
ReplyDeleteकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
काश! जैसा आकाश
ReplyDeleteमासूम ख्वाइशे
एक ख्वाइश ने पंख फैलाए के बदली आ गई
bahut hi khubsurat rachna...
ReplyDeleteyun hi likhte rahein....
आसमां के सीने पर लिख दे
ReplyDeleteअपनी उसूलों कि तहरीर..
सार्थक और अर्थपूर्ण शब्द चयन. बेहतरीन भाव. सुन्दर रचना
काश ऐसा हो जाए ...
ReplyDeleteअच्छी कविता ...
टाइप में मैं भी बहुत गलतियाँ करती हूँ मगर यहाँ जिस पर मेरा ध्यान गया ...
बेबस ..
बेशक़ ...
की..
काश !के जिन्दगी से आगे
ReplyDeleteहम एक कदम बढ़ाये
खुद को खुद से ले चले कहीं दूर...
काश !....bahut hi sundar abhivyakti .
बहुत उम्दा!!
ReplyDelete================================
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर इस बार थोडा सा बरगद..
इसकी छाँव में आप भी पधारें....
बहुत खूब तराने लिखती हैं आप .......... खुदा आपकी कलम को तरकियां बक्शे .!
ReplyDeleteमैं तो पहली बार में आपका मुरीद हो चला हूँ...