Friday, May 2, 2014





न तुम इतने नादाँ थे 
न मैं इतनी समझदार 
की भर पाते 
हम
दिलों में खिंचती 
 उन लकीरों को 
कि जिन पर 
अहम की 
दीवार को 
बुनियाद मिल गई !


1 comment:

  1. जीवन की ऐसी लकीरों को पड़ने से पहले ही मिटा देना चाहिए ...

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...