गीत, ग़ज़ल, नज्म ..ये सब मेरी साँसों कि डोर, महंगा पड़ेगा बज्म को मेरी खामोशियों का शोर ! --- "वन्दना"
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तुम्हे जिस सच का दावा है वो झूठा सच भी आधा है तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं कोरे मन पर महज़ लकीर...


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आज कुछ पुराने पन्ने पलटे अपने आप से मिलना हुआ. कुछ खूबसूरत पल मुस्कुराकर मिले. मानो खिल से गए हों मुझे लौटते देखकर .. मगर अगले ही पल ज...
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1 मेरी आँखों में ये नमी नहीं..किसी के एहसासों कि कहानी है मैं जिस सागर में डूबकी लगाकर आयी हूँ ये उसकी निशानी है आईना भी हँसता है मेरी बेब...
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तुम्हे जिस सच का दावा है वो झूठा सच भी आधा है तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं कोरे मन पर महज़ लकीर...

आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteaabhaar aapka
Deleteकिस शेर की तारीफ़ करूँ ..सारे शेरों ने मौन कर दिया है ...
ReplyDeletebahut bahut shukriyaa
Deleteकिस शेर की तारीफ़ करूँ ..सारे शेरों ने मौन कर दिया है ...
ReplyDeleteबढ़िया ग़ज़ल!
ReplyDeletebahut shukriya
Deleteखुश्बूओं के पर बड़े सुनहले हैं....खूबसूरत
ReplyDeletebahut aabhaar
Deleteबहुत खूबसूरत गज़ल
ReplyDeletebahut dhanyavad
Deleteबेहतरीन गजल
ReplyDeleteshukriyaa
Deleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteसभी शेर एक से बढ़ कर एक....
अनु
shukriya aapka
Deleteवाह .... सभी शेर लाजवाब ... नए अंदाज़ के ...
ReplyDeletebahut bahut shukriya
Deleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeletehttp://voice-brijesh.blogspot.com
aabhaar
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