फांसले
जिन्दगी कि जड़ो में
गहराती हुई
एक परिभाषा
फांसला जमीं आसमां के बीच का
फांसला डूबते सूरज और उगते चाँद के बीच
उनकी सीमाए तय करता
लेकिन इन फासलों में
ही सांस लेता है
सबका अपना अपना वजूद
वो हैं क्योकिं फासले हैं
अच्छे लगने लगे हैं
मुझे ये फासले
फासलें राही और मंजिल के
सपने और हकीकत के
फासले शफक और उफक के
फांसले उम्मीद और भरम के
फांसले ..
एक नदी के दो किनारों के
फासले हैं ...तो किनारे हैं
किनारें हैं ..तो बहाव है
बहाव है .. तो नदी है
नदी है ...तो तृप्ति है
और जीवन की इसी
तृप्ति को मैंने
जिया हैं इन फासलों में
जिनमे सांस लेता
एक पहला पहला प्यार
मेरी अहसासों की जीवितता को
हमेशा धड़कने बख्सता रहेगा ...
और हम अपनी अपनी
जगह लिए हुए
यूँ ही रहेगें
......
"मैं " .......... .... .....".तुम "
ये फांसलें !
- वंदना
उनकी सीमाए तय करता
लेकिन इन फासलों में
ही सांस लेता है
सबका अपना अपना वजूद
वो हैं क्योकिं फासले हैं
अच्छे लगने लगे हैं
मुझे ये फासले
फासलें राही और मंजिल के
सपने और हकीकत के
फासले शफक और उफक के
फांसले उम्मीद और भरम के
फांसले ..
एक नदी के दो किनारों के
फासले हैं ...तो किनारे हैं
किनारें हैं ..तो बहाव है
बहाव है .. तो नदी है
नदी है ...तो तृप्ति है
और जीवन की इसी
तृप्ति को मैंने
जिया हैं इन फासलों में
जिनमे सांस लेता
एक पहला पहला प्यार
मेरी अहसासों की जीवितता को
हमेशा धड़कने बख्सता रहेगा ...
और हम अपनी अपनी
जगह लिए हुए
यूँ ही रहेगें
......
"मैं " .......... .... .....".तुम "
ये फांसलें !
- वंदना
बहुत खूब .... वैसे थोड़े फासले से प्यार बना रहता है
ReplyDeleteनदी के दो किनारों में फासले न होते तो नदी कहाँ होती....??
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ख़याल..
बहुत अच्छी रचना..
अनु
बहुत मुखरित भावप्रणव रचना!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (19-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
सुन्दर भाव पूर्ण रचना ...
ReplyDeleteबधाई !
बहुत खूब लिखा है...बधाई
ReplyDeletewell kept lines.
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