Sunday, November 4, 2012

त्रिवेणी




"इन बादलों के आगे आगे दौड़े ...
कभी छुपने में कोई कसर न छोड़े 

चाँद.. चलती फिरती निगाहों सा !


vandana 

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...