चलो जिंदगी को आसान कर लेते हैं
खुद पर आज इक एहसान कर लेते हैं
एहसासों को जुबाँ फिर मिले न मिले
एक बार ख़ामोशी को अज़ान कर लेते हैं
मोहब्बत के सजदे तो महंगे बहुत हैं
समझोतों को जीने का सामान कर लेते हैं
इस पिंजर में एक परिंदा सर पटकता है
दिल की जमीं पे एक आसमान कर लेते हैं
देकर रिहाई इस दिल ए गुनहगार को
इसी सजा को अपना ईमान कर लेते हैं
याद नही है तहरीर ए वजूद भी अब तो
सोचते थे इश्क को पहचान कर लेते हैं
- वंदना
behtreen gazal...
ReplyDeleteबेह्तरीन ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
ReplyDelete--
दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
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आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर ..आप को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए...
ReplyDeletebahut hi sundar gazal...
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही खूबसूरत । अजान कह के इबादत कर दिया मुहब्बत को !
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