Monday, November 12, 2012

ग़ज़ल




चलो  जिंदगी को आसान  कर  लेते हैं 
खुद पर आज इक एहसान कर  लेते हैं 

एहसासों  को जुबाँ फिर  मिले न मिले 
एक बार ख़ामोशी को अज़ान कर लेते हैं 

मोहब्बत के  सजदे  तो महंगे बहुत  हैं 
समझोतों  को जीने का सामान कर लेते हैं 

इस पिंजर में एक परिंदा सर पटकता है 
दिल की जमीं पे एक आसमान कर लेते हैं 


देकर रिहाई इस दिल ए गुनहगार को 
इसी सजा को अपना  ईमान कर लेते हैं 

याद नही है तहरीर ए वजूद भी अब तो 
सोचते थे इश्क को  पहचान कर लेते हैं 


- वंदना 



6 comments:

  1. बेह्तरीन ...

    ReplyDelete
  2. सुन्दर रचना!
    --
    दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
    आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
    लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
    उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
    --
    आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर ..आप को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए...

    ReplyDelete
  4. वाह ! बहुत ही खूबसूरत । अजान कह के इबादत कर दिया मुहब्बत को !

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...