Thursday, September 20, 2012

त्रिवेणी


मानो बादल हँसे  हैं और पुरवाई रोई है 
सावन कि फुहारों ने चांदनी भिगोई है 

जैसे बेटी कि विदाई पर शहनाई रोई है 

- वंदना






2 comments:

  1. वाह बहुत खुबसूरत..

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  2. वाह...
    बहुत बहुत सुन्दर...

    अनु

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...