बंद दरिचो से गुजरकर वो हवा नहीं आती
उन गलियों से अब कोई सदा नहीं आती ..
बादलो से अपनी बहुत बनती है, शायद
इसी जलन में धूप कि शुआ* नहीं आती ..
अच्छे लगते है मुझे ये खामोश से जख्म
कर सकें कुछ बयां इन्हे वो जुबाँ नही आती
जिंदगी ने भी क्या खूब सबक सिखा दिए
दिल में अब फिजूल कोई इल्तजा नहीं आती ..
शोक ए दीद* से उसकी हारे हुए हैं बेशक,
लब पे कभी कोई खुदगर्ज दुआ नहीं आती ..
एक ख़्वाब के मानिंद जाने कब से सोया हूँ
मुझे जगाने क्यूं कोई सबा* नही आती !!
शुआ= किरण
शोक ए दीद = दर्शन कि अभिलाषा
इब्तिदा = परिचय
सबा = सुबह कि हवा
- वन्दना
अस्तित्त्व प्रतिष्ठा की उत्कृष्ट रचना ।
ReplyDeletebehad khoobsurat ghazal likhi hai aapne.....its beautiful, saare khayaal khoobsurat hain...doosra sher aur aakhiri sher to bas kamaal hain...:)
ReplyDeleteबहुत अच्छे, चौथा सबसे उम्दा लगा, बाकी भी खासे अच्छे है....लिखते रहिये ....
ReplyDeleteदिल में अब फ़िज़ूल की इल्तजा नहीं आती..
ReplyDeleteक्या बात है..हर शेर ख़ूबसूरत...सुन्दर ग़ज़ल
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeletesundar gazal vadanaji badhai
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति
ReplyDeleteVandana, Aisa lag raha hai kisi maje hue shayar ka kalaam hai...kisi ek sher ki tareef karoon to doosre ke saath beimaani hogi .....beautiful :-)
ReplyDelete@ ALL....sabhi ka bahut bahut shukriyaa yahan tak aane or sarahne k liye :)
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल ...
ReplyDeletebeautiful poem.
ReplyDeleteवन्दना जी,
ReplyDeleteआज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.....आपका ब्लॉग पसंद आया.....बहुत खुबसूरत ग़ज़ल कही है आपने....आपके तस्वीर के चयन के लिए मैं आपकी दाद देता हूँ ......जो पोस्ट में चार चाँद लगा रही है.....देर से आने की माफ़ी के साथ आज ही आपको फौलो कर रहा हूँ......ताकि आगे भी साथ बना रहे....
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
वंदना जी,
ReplyDeleteजज़्बात पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया......आपने शयद मेरे ब्लॉग पर को ध्यान से नहीं देखा यहाँ अपना, पराया कुछ भी नहीं और अगर रचना में कहीं शायर का नाम है तो वो ज़रूर आएगा....मेरे ब्लॉग पर काफी रचनाएँ मेरी अपनी लिखी हैं पर मैंने उनमे अपना नाम भी नहीं दिया.......इस दहलीज़ पर सिर्फ जज्बातों की अहमियत है......नामों में क्या रखा है.....उम्मीद है आप आगे भी यहाँ आती रहेंगी......
बहुत अच्छी गजल लिखि है आप ने
ReplyDeleteबहुत - बहुत शुभ कामना --
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteअच्छे लिखने वालों कि ग़ज़लें पढ़ें भी
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत गजल , इसकी सारी अदाएं भी ...यहाँ आना बहुत अच्छा लगा . बधाई
ReplyDeleteAapke manobhav ka durpan hai aapka post.Man mein uthte hue bhav kabhi-kabhi man ke kisi kone mein sthayi rup se bas jate hain.Ek sukhad ehsas ki anubhuti se man ka har kona praffulit ho gaya.Mere blog rupi dar par aapka besabri se injaar rahega.Dhanyavad.
ReplyDeleteachhi lagi.........
ReplyDeletemst h.........
ReplyDeletebauhat vadiya....tussi bauhat accha likhte ho :)...keep going!!!!
ReplyDeletesry for cuming so late...exams chal rahe the :(
ReplyDeleteक्या बेहतरीन लिखा है आपने वंदना जी...बहुत बहुत सुन्दर :)
ReplyDeleteअच्छी रचना लफ्जो का सुंदर उपयोग !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में SMS की दुनिया .........