Saturday, June 23, 2012

त्रिवेणी



हर कदम पे समझोते ..गरल अश्को का  पीना 
उम्मीदों को रफू करना , जख्म वक्त के सीना 

सिखा देती है ये जिंदगी हर एक  हाल में जीना !


- वंदना 

5 comments:

  1. बहुत सच लिखा आपने....!!

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  2. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)

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  3. जीवन सार त्रिवेणी बन सबकुछ कह जाती है ...

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  4. fact of life...well said :)

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...