Monday, May 28, 2012

त्रिवेणी




फलक कि  सीढीयां चढ़ता उतरता रहता है
कभी रात भर खिडकी पर आंहे भरता  रहता है 

ये चाँद भी धडकनों में कैद किसी  नज़्म  जैसा है 


- वंदना 

6 comments:

  1. बहुत सुंदर वंदना जी....
    सुंदर त्रिवेणी....

    अनु

    ReplyDelete
  2. एक संक्षिप्त परिचय तस्वीर ब्लॉग लिंक इमेल आईडी के साथ चाहिए , कोई संग्रह प्रकाशित हो तो संक्षिप ज़िक्र और कब से
    ब्लॉग लिख रहे इसका ज़िक्र rasprabha@gmail.com

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...