Friday, May 25, 2012

गज़ल







बूँद बूँद में घुलकर हम  भी  बहता पानी हो जाएँ..
जिन्दगी को लिखते लिखते एक कहानी हो जाएँ !


मेरी आँखों के दर्पण में   खुद को सवाँरा कीजिये.. 
इन  शर्मीली सी आँखों का  हम भी पानी हो जाएँ !


मुझको साँसे बख्श दो   मैं धड़कन तेरी हो जाऊं..
तुम जो ये सौदा करलो जीने कि असानी  हो जाएँ !


तुम राधा कि  दीवानगी  मैं हूँ   मुरली  कि  तान..
अपनाकर  इस प्रीत को  हम रीत पुरानी हो जाएँ  !


अल्फाज़ दिये मैंने अपनी धड़कन कि तहरीरों को..
तुम लबो से छू लो  तो ये   ग़ज़ल सुहानी हो जाएँ !





वंदना


8 comments:

  1. वाह: क्या बात है..बहुत खुबसूरत भाव..वंदना जी

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  2. खूबसूरत गजल....
    सादर।

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  3. बेहतरीन ग़ज़ल...

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  4. बहुत प्यारी गजल |
    आशा

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  5. बहुत ही बेहतरीन गजल....

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  6. बहुत सुन्दर ग़ज़ल सभी अशआर बेहतरीन हैं

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...