Tuesday, January 3, 2012

त्रिवेणी




हकीकत ए जिंदगी और ये  दिल के भरम
अनमोल होकर भी फिजूल हैं अपने ये गम

सजा बनके रह जाती हैं अक्सर नादानियाँ !

- वंदना 

6 comments:

  1. वाह ...बहुत खूब कहा है ..

    ReplyDelete
  2. सटीक लिखा है .. सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  3. bahut khoob sahbd likhe hai aapne

    ReplyDelete
  4. जो बहुत कुछ सिखा देती है..

    ReplyDelete
  5. असरदार है..बधाई

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...