इस दौर को कर गया निढाल जाते जाते
ले गया है बहुत कुछ ये साल जाते जाते ..
शक्लें दीं थी जिन्होंने इस नए ज़माने को
तोड़ गया वो आईने ,ये काल जाते जाते..
तरन्नुम का हमसे जिसने तार्रुफ़ कराया था
उदास छोड़ गया ग़ज़लें ,वो बेमिशाल जाते जाते.
सच जिंदगी उम्र कि हर बंदिश से आगे है
ख़त्म हुई कैसे ये कदमताल जाते जाते..
ले गया है बहुत कुछ ये साल जाते जाते ..
शक्लें दीं थी जिन्होंने इस नए ज़माने को
तोड़ गया वो आईने ,ये काल जाते जाते..
तरन्नुम का हमसे जिसने तार्रुफ़ कराया था
उदास छोड़ गया ग़ज़लें ,वो बेमिशाल जाते जाते.
सच जिंदगी उम्र कि हर बंदिश से आगे है
ख़त्म हुई कैसे ये कदमताल जाते जाते..
दिखाए थे नए आकाश मेरी उड़ानों को
वक्त फेंक गया कैसा ये जाल जाते जाते..
- वंदना
वक्त फेंक गया कैसा ये जाल जाते जाते..
- वंदना
बेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत पंक्तियां और ब्लॉग की साज सज्जा भी प्रभावित कर गई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
ReplyDeleteतेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
2011 जाते जाते आपसे इतनी खूबसूरत गज़ल भी लिखवा गया :)
ReplyDeleteक्या बात है... बहुत बढ़िया.... सादर बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं
ReplyDeletelast two lines are just awesome...striked hard!!!...happy new year :)
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें ।
ReplyDeleteसाल का संवेदना से भरा लेखा-जोखा ! बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ! बधाई!
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