Saturday, December 31, 2011

ले गया है बहुत कुछ ये साल जाते जाते ..




इस दौर को कर गया निढाल जाते जाते
ले गया है बहुत कुछ ये साल जाते जाते ..

शक्लें दीं थी जिन्होंने इस नए ज़माने को
तोड़ गया वो आईने ,ये काल जाते जाते..

तरन्नुम का हमसे जिसने तार्रुफ़ कराया था
उदास छोड़ गया ग़ज़लें ,वो बेमिशाल जाते जाते.
 

सच जिंदगी उम्र कि हर बंदिश से आगे है
ख़त्म हुई  कैसे ये कदमताल जाते जाते..
  
 दिखाए थे   नए आकाश  मेरी उड़ानों को
वक्त फेंक गया कैसा ये  जाल जाते जाते..

- वंदना

9 comments:

  1. बेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें

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  2. बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां और ब्लॉग की साज सज्जा भी प्रभावित कर गई

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  3. बहुत सुन्दर...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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  4. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
    तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
    अवगत कराइयेगा ।

    http://tetalaa.blogspot.com/

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  5. 2011 जाते जाते आपसे इतनी खूबसूरत गज़ल भी लिखवा गया :)

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  6. क्या बात है... बहुत बढ़िया.... सादर बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं

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  7. last two lines are just awesome...striked hard!!!...happy new year :)

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  8. हार्दिक शुभकामनायें ।

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  9. साल का संवेदना से भरा लेखा-जोखा ! बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ! बधाई!

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...