Wednesday, October 12, 2011

कड़वा है मगर सच दुनिया का बताया है मुझे !


जिंदगी का  अहम् सबक  सिखाया है मुझे 
ख़्वाब ओ हकीकत में फर्क दिखाया है मुझे 

कल रोते हुए तुमने ही लगाया था गले 
भरी महफ़िल में आज गैर जताया है मुझे

अपनी सफाई में मेरे पास कुछ है ही नहीं 
मेरी ही नजर  में गुनहगार बनाया है मुझे 

दोस्ती के जैसे  अब मतलब ही खो गये 
रिश्तों का ये कैसा सच पढ़ाया है मुझे 

शिकायत नहीं तुमसे गिला खुद से रहेगा 
मेरी नजरों में ही कितना गिराया है मुझे 

नादानी है मिलने जुलने को रफाकत कहना 
कड़वा है मगर सच दुनिया का बताया है मुझे 

ए दोस्त इसे हम अपना ही पागलपन कहेंगे 
तेरी याद ने आज फिर बहुत रुलाया है मुझे !

7 comments:

  1. बहुत ही अच्छी रचना.....

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  2. लाजवाब रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  3. ओह! दर्द से सराबोर रचना।

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  4. खूबसूरत लिखा है वंदना जी!!

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  5. ek ravangi ke sath asardaar rachna ....

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  6. इस होली आपका ब्लोग भी चला रंगने
    देखिये ना कैसे कैसे रंग लगा भरने ………

    कहाँ यदि जानना है तो यहाँ आइये ……http://redrose-vandana.blogspot.com

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...