Monday, August 15, 2011

त्रिवेणी



कुछ लम्हों कि उधारी एक उम्र कि किश्ते,
मंहगी सब इनायते.. बहुत सस्ते से रिश्ते ..

जिंदगी एक अजीब तिजारत का नाम हैं !

6 comments:

  1. चंद पंक्तिया बहुत कुछ कह गयी....

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  2. बहुत सुन्दर और सार्थक!
    आजादी की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  3. बहुत सुन्दर ....्स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएँ....

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  4. गुज़रे हुए लम्हों को पकड़ने की तमाम हसरत है
    ख़्वाब को पलकों में जकड़ने की नाकाम कसरत है.
    ज़िंदगी तिजारत है, इश्क भी...और नफ़रत भी.
    ...एक खूबसूरत यकीन भी ....और ग़फ़लत भी.
    चलो, आंसुओं को बटोर लायें सारी बस्तियों से
    इसके खार से कितना परेशान है समंदर भी !

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  5. काफी दिनों बाद त्रिवेनियाँ पढने को मिल रही है...
    आपका आभार... सुन्दर भाव हैं...
    राष्ट्र पर्व की हार्दिक बधाइयां...

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  6. कोमल भावों से सजी ..
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...