Tuesday, August 16, 2011

त्रिवेणी





कैसे खुद पर कोई काबू किया जाए
बेसबब  भी अक्सर कैसे हँसा जाए

ये हुनर संजीदा उदासी सिखाती है !

- वंदना

6 comments:

  1. वाह! बहुत खूब....

    ReplyDelete
  2. आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
    बहुत ही सुन्दर

    ReplyDelete
  3. बहुत खूब....
    सादर...

    ReplyDelete
  4. बहुत ही अच्छा लिखा है बहुत ही सच लिखा है..

    निकाह जो करलो तुम अपनी मज़बूरी,अपने हालातों से
    कोई गम नही उम्र भर ये रस्मे जो निभानी पड़ जायें

    जब तुमको खुशी मिल जाए,फिर इनको तलाक़ दे देना तुम । अक्षय-मन

    ReplyDelete

तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...