मैंने ख्वाबो कि इक तस्वीर सा बनाया तुमको
कितने रगों से जिंदगी में मैंने रचाया तुमको..
जिसे ढूंढती रहीं है एक उम्र कि नादानियां
बहारों में खिलते हुए इन फूलों कि तरह
अपने होंठों पे मुस्कान सा सजाया तुमको
सावन कि सिसकती हुईं इन रातों कि तरह
मैंने अक्सर hi आंसुओं में बहाया तुमको..
जिंदगी से ख़्वाबों कि कोई शर्त भी नही थी
बेसबब सा हर एक आरजू में बसाया तुमको..
रह रह के चोंकाया बीते हुए लम्हों ने मुझे
अपनी कोशिशों में कितना भुलाया तुमको..
तुम नज्मों में बिखर गये मेरी रूह बनकर
मैंने तुमसे ही कितना छुपाया तुमको..
- वंदना
8/12/2011
"तुम नज्मों में बिखर गए मेरी रूह बनकर
ReplyDeleteमैंने तुमसे ही कितना छुपाया तुमको..."
उम्दा शेर... उम्दा ग़ज़ल...
सादर..
खुबसूरत ग़ज़ल....
ReplyDeleteआज 14 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteसुन्दर भावो से रची सुन्दर प्रस्तुति.....
ReplyDeleteअच्छी गजल ,बधाई
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ...शुभकामनायें आपको !
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