जागती नींदों में सोया एक ख़्वाब जैसे
मैं उसकी तन्हा रातों का महताब जैसे
उसके हर सफ़हे पे लिखी हैं आयतें मेरी
वो बिखरती हुई सी एक किताब जैसे
उसके आँगन में बरसता हुआ मैं सावन
वो कोई भीगता हुआ सा गुलाब जैसे
मैं आँखों में उसकी महकता हुआ गुल
वो मेरी पलकों पे शबनम ओ आब जैसे
वो बादल वो हवा वो बूंदों कि रिमझिम
मैं ठहरा हुआ सा कोई तालाब जैसे
उसकी साँसों में खनकता मैं सितार कोई
वो मेरा गीत ग़ज़ल ,रूह ओ अज़ाब जैसे
वन्दना
Bahut Khubsurat Gazal,
ReplyDeleteVandana Ji Badhai
Plz visit my blog-
karimpathananmol.blogspot.com
मैं आँखों में उसकी महकता हुआ गुल
ReplyDeleteवो मेरी पलकों पे शबनम ओ आब जैसे
खूबसूरत गज़ल
kya keh diya hai vandna ji
ReplyDeleteaapka blog mera fevret blog ho gaya hai
apne blog par kuch likhu ya naa likhu
par aapke blog par aaye bina dil nahi manta
shabdo me ghar kar jata hoon main
dhanyawaad, aise hi likhti raheiyega
बहुत खूब .. लाजवाब गज़ल है ... उसकी तह रातों का माहताब देर तक साथ देता है ...
ReplyDeleteसुन्दर गजल...
ReplyDeleteसुन्दर गजल...
ReplyDeletehar aashar bahut hi khoobsurti se dhala hua.
ReplyDeleteबहुत उम्दा ग़ज़स!
ReplyDeleteपढ़कर आनन्द आ गया!
क्या बात है ! नाइंसाफी न हो खुबसूरत नज़्म ...बधाई जी /
ReplyDeleteउसकी साँसों में खनकता मैं सितार कोई
ReplyDeleteवो मेरा गीत गज़ल, रूह और अजाब जैसे.
बेहतरीन गज़ल हरेक शेर वजनदार और असरदार.
bahut hi behatrin gajal.sunder shabdon main likhi hui dil ko choonewali bemisaal najm.badhaai aapko.
ReplyDeleteplease visit my blog.thanks.
kya baat hai...
ReplyDeleteमैं आँखों में उसकी महकता हुआ गुल
ReplyDeleteवो मेरी पलकों पे शबनम ओ आब जैसे
वाह ...बहुत खूब।