मानो परिंदे निकले हैं तिनको कि तलाश में
माँ के हाथ में मुन्तसिर निवाला छोड़ आए
जो पीढ़ियों का हमें सदा वास्ता देता रहा
उसी घर पे हाँ हम ताला छोड़ आए
चलते वक्त दादी कि तस्वीर याद रही
मगर अफ़सोस वो बासी माला छोड़ आए
उन आँखों के उजाले हमारे साथ चलते हैं
चश्मे के पीछे जिनमे हम जाला छोड़ आए
वो लाठी उन अंधेरो को रास्ता दिखाती तो होगी
जीवन का जिनमे बेशकीमती उजाला छोड़ आए
बेगाने से रिश्तो में अब यहाँ वफ़ा ढूंढ रहे हैं
हम कुछ अपनों को वहां बिलखता छोड़ आए
वन्दना
priya vandana ji
ReplyDeletesadar namskar ,
kya bat hai ! bahut marmik chitran ,mamsprshi rachana har taraf jhankane ko mazboor karati huyi
aatm nirikshan karti huyi samvedana ke liye sadhuvad.
उम्दा अशआर
ReplyDeleteजो पीढिइयों का हमे वास्ता देता---- पूराएए रचना ही बहुत अच्छी है लेकिन ये पाँक्तियाँ दिल को छू गयी। शुभकामनायें।
ReplyDeleteLaga ki Munawwar Rana sa'ab ko padh rahe hai....Umda :-)
ReplyDelete'जो पीढ़ियों का हमें सदा वास्ता देता रहा
ReplyDeleteउसी घर पे हाँ हम ताला छोड़ आये हैं '
बेहतरीन शेर
चित्र और भाव दोनों अच्छे हैं| धन्यवाद|
ReplyDeleteमन को भावुक कर देने वाली गज़ल ..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है -पढ़कर ही ह्रदय में तीस उठ रही है -
ReplyDeleteबहुत अपनों की याद दिला दी ...!
बेगानों से रिश्तों में वफ़ा ढूंढते हैं ...
ReplyDeleteअपनों से छले जाने का दर्द असहनीय जो होता है ..
पीछे छूट गए घर और उसके वासिंदों की घनीभूत यादें !
बेहतरीन !
wah..Behatareen..
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आप सभी का इस हौंसला अफजाई के लिए ..:)
ReplyDeleteshuru ki 6 panktiyan to bahut hi kamaal ki hain ..
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 15 -03 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
जीवन के यथार्थ एवं प्रवासियों की विडम्बना तथा पीड़ा को मुखरित करती बेमिसाल रचना ! बहुत सुन्दर ! बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया लिखा है आपने.
ReplyDeleteबहुत ही मर्मस्पर्शी.
सलाम.
बहुत कुछ पीछे छूट जाता है -जिसकी यादें ही शेष रह जाती हैं !
ReplyDeleteदादी की तस्वीर और बासी माला.........
ReplyDeleteवाह क्या खूबसूरत ख़याल और क्या कहन.......बधाई|
मन के भाव परदेस में भी किस तरह अपनों की याद दिलाते हैं .....आपने जीवन की इस सच्चाई को सुन्दरता से पेश किया है ...आपका आभार
ReplyDelete"आकाश कुमार" की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ .
ReplyDeleteमैं अपने ब्लॉग में मिश्रित कंटेंट रखूँगा जो आपके घर में पढ़ रहे बचों के लिए भी सहायता प्रदान करेगी.. आई टी सेक्टर जे जुड़े सवाल भी सोल्व करूँगा.. हमारा पता है ... www.akashsingh307.blogspot.com