Saturday, January 22, 2011

ग़ज़ल




यादो के नगर में ये कौन आ गया 
दिल  पर ये  कैसा कोहरा छा गया 

ढूंढते हो जिसे इन मैली घटाओ में 
उस चाँद को रातो का अँधेरा खा गया 

तुमको तुम्हारा ये गुरूर मुबारक रहे 
हमको समझ हमारा कुसूर आ गया 

रहेगा मलाल सदा बस इसी बात का 
किस नजर से मेरी नजर को देखा गया

उन आँखों से पिया है जहर मैंने 
तिल तिल मरना अब मुझे भा गया 




वन्दना 



19 comments:

  1. बहुत अच्छी ग़ज़ल है ,वंदना जी.

    ढूंढते हो जिसे इन मैली घटाओं में
    उस चाँद को रातों का अन्धेरा खा गया

    बेमिसाल.आप की कलम को सलाम.

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  2. बहुत मर्मस्पर्शी ....खूबसूरत गज़ल

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  3. बहुत ही भावपूर्ण मर्मस्पर्शी गज़ल..बहुत सुन्दर

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  4. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (24/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  5. bahut sunder hai. Par dard hai isme.

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  6. बेहतरीन ग़ज़ल।

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  7. वाह, क्या बात है

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  8. वंदना जी,

    सुभानाल्लाह.......बहुत ही खुबसूरत अशआर.......बेहतरीन.....दूसरा शेर सबसे बढ़िया लगा.....आप ऐसे ही लिखती रहें......शुभकामनायें|

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  9. तुमको तुम्हारा ये गरूर मुबारक हो .... वाह .. क्या बात है इस शेर में ... गज़ब के तेवर हैं ...
    बेहतरीन अदायगी है इस ग़ज़ल में ...

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  10. बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

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  11. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 25-01-2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  12. very good and toucing gajal

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  13. Bahut hi khoobsoorat bune hue ashyaar ke liye badhayi
    Samajh mein kusoor aagay
    Badi sadgi se sacchayi pesh ki hai Vandana ji

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  14. बहुत सुन्दर

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  15. प्रभावी भावाभिव्यक्ति..... बेहतरीन ग़ज़ल

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  16. बेहतरीन..हर इक हर्फ़ इत्र-सा महकता हुआ..!!!

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  17. बहुत ही सुंदर ग़ज़ल बहुत बधाई !!

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