यादो के नगर में ये कौन आ गया
दिल पर ये कैसा कोहरा छा गया
ढूंढते हो जिसे इन मैली घटाओ में
उस चाँद को रातो का अँधेरा खा गया
तुमको तुम्हारा ये गुरूर मुबारक रहे
हमको समझ हमारा कुसूर आ गया
रहेगा मलाल सदा बस इसी बात का
किस नजर से मेरी नजर को देखा गया
उन आँखों से पिया है जहर मैंने
तिल तिल मरना अब मुझे भा गया
वन्दना
बहुत अच्छी ग़ज़ल है ,वंदना जी.
ReplyDeleteढूंढते हो जिसे इन मैली घटाओं में
उस चाँद को रातों का अन्धेरा खा गया
बेमिसाल.आप की कलम को सलाम.
बहुत मर्मस्पर्शी ....खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण मर्मस्पर्शी गज़ल..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
bahut sunder hai. Par dard hai isme.
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल।
ReplyDeletebehatarin
ReplyDeleteवाह, क्या बात है
ReplyDeleteवंदना जी,
ReplyDeleteसुभानाल्लाह.......बहुत ही खुबसूरत अशआर.......बेहतरीन.....दूसरा शेर सबसे बढ़िया लगा.....आप ऐसे ही लिखती रहें......शुभकामनायें|
तुमको तुम्हारा ये गरूर मुबारक हो .... वाह .. क्या बात है इस शेर में ... गज़ब के तेवर हैं ...
ReplyDeleteबेहतरीन अदायगी है इस ग़ज़ल में ...
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 25-01-2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
very good and toucing gajal
ReplyDeleteBahut hi khoobsoorat bune hue ashyaar ke liye badhayi
ReplyDeleteSamajh mein kusoor aagay
Badi sadgi se sacchayi pesh ki hai Vandana ji
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteप्रभावी भावाभिव्यक्ति..... बेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल……।
ReplyDeleteबेहतरीन..हर इक हर्फ़ इत्र-सा महकता हुआ..!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ग़ज़ल बहुत बधाई !!
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