Tuesday, September 14, 2010

बस यूँ ही...




हो सकता है ...अनजाने में ,
तुम्हारा दिल दुखाया हो
मेरी किसी बेफिजूल सी बात ने ..
हो सकता है मैंने अपने वजूद के
दायरे को अनदेखा किया हो ..
हो सकता है मैंने लांघी हो
सीमायें तय करती ओट कि दीवार ..

यूँ तो जिंदगी में कभी भी
नही दिया ये मौका किसी को
हर छोटी बड़ी बात कि सीमाएं
मेरे पास पहले से तय होतीं है
मालूम है ....ये ताकत
कमजोरी भी है मेरी , मगर
फिर भी उसूल नहीं बदले कभी !


मगर हो सकता है अनजाने में
मेरी कोई दखलांदाजी चुभी हो तुम्हे ?
क्या सचमुच मैं ऐसा कर सकती हूँ ?
प्लीज़ ..कह दो ना .......नहीं !


खैर ..जाने अनजाने उस हर एक
कमजोर पल के लिए..
जो मुझे गुनहगार बनाता है
माफ़ न कर सको न सही,
बस हो सके तो ..अपने
दिल में कोई मैल मत रखना ..

और हाँ, कोई fevor नहीं चाहिए
ना ही कोई obligation माँगा है
मैंने सिर्फ खुद को जिया पूरे मन से
किसी कि रहमत चुनी नहीं कभी
ना उम्मीद कि किसी भी रिश्ते से
खुद के लिए ...कोई संभाले मुझे
मेरी कमजोरियों का हौंसला बनकर..

बस यूँ ही आज फिर एक बार
खुद को परखना चाहती हूँ
ताकि खुद पर मेरा एतबार
झूठा ना पड़ जाये कहीं !!
Vandana

9 comments:

  1. हो सकता है मैंने अपने वजूद के
    दायरे को अनदेखा किया हो ..
    अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई के पात्र है

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  2. बहुत खूबसूरती से, पूरी ईमानदारी से लिखे हैं जज़्बात

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  3. कविता कोई जादुगरी नहीं वास्‍तविक जीवन की सक्षम पुनर्रचना है सर्जनात्‍मक ऊर्जा की सक्रियता है। मकसद है - जिंदगी बेहतर बने।
    बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

    अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्‍ता भारत-१, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

    अभिलाषा की तीव्रता एक समीक्षा आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

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  4. बहुत ही खूबसूरती से जज़्बातों को उकेरा है।

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  5. हो सकता है मैंने अपने वजूद के
    दायरे को अनदेखा किया हो ..
    खुद के अन्दर झाँक कर देखने से कई बार हम अपने दोश यागुण देख पाते हैं। सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  6. Der se aai...door se aai..fir bhi maine waada to nibhaya :-) ...tumhe na tareef sunney ki aadat na ho jaye isliye sochte hain....is baar bina bole chale jaaye :-)

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  7. kya kahun...keep sharing :)...may you reach great heights!!!

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  8. mam .... mai abhi to sirf itna hi kahuga k ..plzzzz mujhe apni Email i d send kariye.mai orkut pe apse baat krna chata hu, plzzzz....

    mai barish ki vo boond banna chahta hu jo kisi seep k munh me gir kr aap jaisa moti ban sake.

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...