Thursday, August 5, 2010

याद तुम्हारी



एक आहट ........जैसे
हवा में घुल के.....
हलके फुल्के से लिबास में
सहमी सी ....घबराई सी
थोड़ी सी शरमाई सी
करती है होले से दस्तक
दिल के दरवाजे पर जैसे
कुछ ऐसे ही आया करती है
अक्सर याद तुम्हारी !





मेरे केशुओ से
उलझकर
हवा का झोंका ....
जब गिरता है मूह के बल
घबराकर उठ भागता है ,
और तुम जैसे ..दूर खड़े
खिलखिलाकर हंस पड़ते हो..
हँसता देखकर तुमको
उदासियाँ मुस्कुरा उठती हो जैसे

कुछ ऐसे ही आया करती है
अक्सर याद तुम्हारी !






मेरी सांसे जब
धडकनों कि ताल पे
कदमताल करती हुई ..

दिल को मचलने का
अदब सिखाती हैं
एक बेचैन मीठी सी धुन पर
नाचते हैं एहसास ..छेड़कर
मन कि वीणा के तार जैस

कुछ ऐसे ही आया करती है
अक्सर याद तुम्हारी ..!




सावन कि एक
सांवरी सी सांझ में
जैसे नम साखो पर
कोई भीगा हुआ मोर
अपने पर फैलाकर
झाड दे सारा पानी ...
और सब पात
सरसरा उठते हो जैसे
.
कुछ ऐसे ही आया करती हैं
अक्सर याद तुम्हारी !






नन्ही नन्ही बूंदे
हवा संग अठखेलिया करती
झूले कि उड़ान पर
लहराती चुनर को
भिगो जाती है जब ..
और लाज ..तुम्हारे
ख्यालो से झुंझलाई हुई
मेरे भीगे हुए तन से..
सुधियों का पता पूछती हो जैसे..

कुछ ऐसे ही आया करती है
अक्सर याद तुम्हारी.. !


जब लम्हों कि कसौटी को
जीतने कि कशमकश में
एक आश को टूटकर भिखरता
देख , दिल झुंझलाहट से भर जाये
आरजू छटपटा उठें ,
हारी हुई एक उम्मीद. .
.शर्मिंदगी के घूँट भरने लगे
और बे लाज सी ..
आँखों से बरसती हुई
पीर को सोखती है
जहन कि रेतीली जमीन..

कुछ ऐसे ही आया करती है
अक्सर याद तुम्हारी !








जब वक्त कि
मुंडेर
पर खड़े !
तुम अलविदा कहते हुए
अपना हाथ हिलाते हो,
और मैं! उन लम्हों को
समेटने कि कोशिश में..
जिन्हें जागीर समझा था कभी...
बिखर जाती हूँ ...एक टूटे
मोतिया हार कि तरह
एक टूटते से भ्रम के साथ!

कुछ ऐसे ही आया करती है
अक्सर याद तुम्हारी.... !!







12 comments:

  1. post lajwaab...........man ko choo gayaa

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  2. बहुत ही भावुक कर दिया ....सुन्दर अभिव्यक्ति .....

    इस पंक्ति में ..कोई भीगा हुआ मौर.... मोर कर दें ....

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  3. It is my second visit here (kuchh tasalli thi 4 dinon baad)...so revisited.

    Sabse pahle 101st post ki badhai...kafi kaam de diya aapne :)

    Aur yahan...

    और लाज ..तुम्हारे
    ख्यालो से झुंझलाई हुई
    मेरे भीगे हुए तन से..
    सुधियों का पता पूछती हो जैसे..

    कुछ ऐसे ही आया करती है
    अक्सर याद तुम्हारी.. !

    cute and sweet....bahut achchhi panktiyaan...

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  4. सरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता है। कविता में अद्भुत ताजगी है।

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  5. आपने बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी है!
    --
    इसकी चर्चा तो चर्चा मंच पर भी है-
    http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/238.html

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  6. best til date!!...what an imagination!!!...hats off...exquisite piece of work!

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  7. congratulations for completing 100 posts :)

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  8. BAhut khoob Vandana....
    1. style mein aaya change achcha laga
    2. yaad karne ka tareeka khoobsoorat hai
    3. kya tareef kar di hamne ? :-)

    Good

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  9. जब वक्त कि
    मुंडेर
    पर खड़े !
    तुम अलविदा कहते हुए
    अपना हाथ हिलाते हो,
    और मैं! उन लम्हों को
    समेटने कि कोशिश में..
    जिन्हें जागीर समझा था कभी...
    बिखर जाती हूँ ...एक टूटे
    मोतिया हार कि तरह
    एक टूटते से भ्रम के साथ!

    कुछ ऐसे ही आया करती है
    अक्सर याद तुम्हारी.... !!

    सारी वेदना इन अन्तिम पन्क्तियों मे समेट कर रख दी…………………भावों का बेहद सुन्दर चित्रण्।

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  10. आपका लिखा हर दिल अज़ीज़ है. बहुत अच्छा लिखती हैं आप. एक जगह आपने जहाँ केशुओ लिखा मेरे ख्याल से या तो वो गेसुओ या फिर केशों होना चाहिए.

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  11. bahut bahut shukriyaa aap sabhi ka tahe dil ...aane or sarahne k liye ..:)

    thnks a lott :)

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तुम्हे जिस सच का दावा है  वो झूठा सच भी आधा है  तुम ये मान क्यूँ नहीं लेती  जो अनगढ़ी सी तहरीरें हैं  कोरे मन पर महज़ लकीर...