Monday, July 12, 2010



जाने क्यूं ,मूँह फुलाए बैठा है अन्धेरा
जुगनूं रात कि आँखों का तारा हुए

खफा है चाँद भला चांदनी से किसलिए
गर सितारे सभी ओझल नजारा हुए

काली अंधियारी रात में आ बरसे
सब के सब बादल आज आवारा हुए

ये कौन किसको तलाशता है आसमां में
बिजली को क्यूं ये आलम ना गँवारा हुए

नींद छोड़ कर अकेला मुझे गयी कहाँ
आँखों के स्वप्न सारे आज बेसहारा हुए

जिन्दगी ने फैलाए हाथ आज दुआ के वास्ते
दिल के अरमां टूटता जैसे कोई तारा हुए..

11 comments:

  1. जिन्दगी ने फैलाए हाथ आज दुआ के वास्ते
    दिल के अरमां टूटता जैसे कोई तारा हुए.. kavita bhi aasmaan se toote taare ki tarah jameen par utar aayi hai ...

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  2. bahut bahut shukriyaa ....sabse pehle is hounslaafjayi k liye thanks a lott:)

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  3. सब के सब बादल आज आवारा हुए.nice

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  4. ये कौन किसको तलाशता है आसमां में
    बिजली को क्यूं ये आलम ना गँवारा हुए

    नींद छोड़ कर अकेला मुझे गयी कहाँ
    आँखों के स्वप्न सारे आज बेसहारा हुए
    बरसात का असर है जी। बहुत अच्छी लगी4 रचना बधाई।

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  5. Invisible to ojhal karo....tabhi tareef karenge :-)

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  6. बहुत ही अच्छा लिखा है आपने.
    आपको बधाई.

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  7. भावोँ का उत्कृष्ट संप्रेषण । प्रशंसनीय ।

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  8. जिन्दगी ने फैलाए हाथ आज दुआ के वास्ते
    दिल के अरमां टूटता जैसे कोई तारा हुए.. good one

    aur yes

    खफा है चाँद भला चांदनी से किसलिए
    गर सितारे सभी ओझल नजारा हुए
    Zyada suit kar raha hai ab :-)

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  9. bahut bahut shukriyaa aap sabhi yahan tak aane or sarahne k liye :)

    thnks priya ...yeaah :)

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  10. वंदना जी..बहुत खूब बढ़िया ग़ज़ल है..अच्छी लगी....शुभकामनाएँ..

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  11. नींद छोड़ कर अकेला मुझे गयी कहाँ
    आँखों के स्वप्न सारे आज बेसहारा हुए

    जिन्दगी ने फैलाए हाथ आज दुआ के वास्ते
    दिल के अरमां टूटता जैसे कोई तारा हुए..

    wow so beautiful ...

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